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इस पुस्तिका में यह उल्लेख किया गया है कि समस्त मानवीय धर्मों में मानवता और नैतिकता सम्बन्धी शिक्षाओं का वर्णन है, तथा विशेष रूप से इस्लाम धर्म के मूल ग्रंथ दिव्य कुरआन की अमृत वाणियों और मानवता उपकारक पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के मधुर सन्देशों में इसका व्यापक और स्पष्ट वर्णन हुआ है, स्वयं पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इसके सर्वप्रथम और महान आदर्श नमूना थे, आपके बाद आपके उत्तराधिकारियों ने भी अपने व्यवहार से इसका प्रचार किया। अतः आज एक ऐसे समय में, जबकि मानव जाति, मानवता और नैतिकता खो देने के कारण, चारों ओर अशान्ति, अव्यवस्था, पारस्परिक घृणा, द्वेष, और अनैतिकता का शिकार है - इस बात की आवश्यकता बढ़ जाती है कि इस्लाम धर्म की मानवता, नैतिकता, उसके गुणों, सिद्धांतों, तर्कसिद्ध शिक्षाओं को प्रस्तुत व प्रदर्शित किया जाये ताकि उनका अनुसरण करके मानव अपना कल्याण कर सके और लोक परलोक में सौभाग्य से लाभान्वित हो। यह पुस्तिका इसी बात का आमंत्रण देती है।